Thursday, August 20, 2009

yeh dil---

BY ISHA MALHOTRA





दिल है बुहत परेशान,
ये दुनिया भी लगने लगी है अनजान
कितने रूखे है इस धरती के इंसान
जिसे अपनों समझो ,
वो ही लोग कुछ क्षणों में कर देते है अनजान
 दिल तो  करता है कही उस ओर उड़ चलू
  जहा बेगानों को  भी समझे भगवान

 माना ये एक सपना  है ..............
  पर कुछ तो दया कर हे मेरे भगवान ...............

 आज दिल है बुहत परेशान
   क्या क्या रंग दिखाता  है  ..........

पर फिर  भी तरस नहीं  आता है ??
  क्यों बनाई ऐसी दुनिया जहाँ  इन्सान को
 समझा जाता  है भगवान
आज दिल है बुहत परेशान





(the writer is a student of Journaslism and Mass Communcation in Punjabi University Patiala)

No comments: