दिल है बुहत परेशान,
ये दुनिया भी लगने लगी है अनजान
कितने रूखे है इस धरती के इंसान
जिसे अपनों समझो ,
वो ही लोग कुछ क्षणों में कर देते है अनजान
दिल तो करता है कही उस ओर उड़ चलू
माना ये एक सपना है ..............
आज दिल है बुहत परेशान
पर फिर भी तरस नहीं आता है ??
क्यों बनाई ऐसी दुनिया जहाँ इन्सान को
आज दिल है बुहत परेशान
(the writer is a student of Journaslism and Mass Communcation in Punjabi University Patiala)
No comments:
Post a Comment